लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

1५ -परिवार में सभी दुखी -




रक्षा ने पंडित जी को फोन करके जल्दी से घर आने को कहा। रक्षा का फोन सुनते ही पंडित जी ने पूछा- कि ऐसा क्या हो गया है, जो तुम मुझे इतनी जल्दी बुला रही हो । रक्षा ने कहा- पंडितजी मत पूछिए बस घर आ जाइए। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी से बहुत ही जरूरी बात है। इतना कहकर रक्षा नहीं पूछा- आप कितनी देर में आ रहे हैं, पंडित जी ने कहा- ठीक है मैं एक घंटे में पहुंचता हूं। रक्षा बड़ी तत्परता से पंडित जी का इंतजार करने लगी। जब पिताजी ने पूछा कि रक्षा क्या बात है,तुम मुझे क्यों नहीं बता रही हो। पंडित जी से ऐसा कौन सा काम पड़ गया है, जो तुम मुझे नहीं बता रही हो। रक्षा ने कहा पिताजी पंडित जी के आने पर सारी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी। रक्षा पंडित जी से बात करते हुए रोती जा रही थी वह चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी। यह सब रक्षा के पिताजी देख कर परेशान हो रहे थे और बेटी का रोना उनको बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह बार-बार रक्षा से पूछ रहे थे, कि बेटा बताओ तो हुआ क्या है। पंडित जी भी रक्षा की आवाज सुनकर घबराए हुए थे,और जल्दी से जल्दी निकलने की कोशिश कर रहे थे।

उधर अस्पताल में क्या चल रहा था पिताजी को भी ज्यादा खबर नहीं थी। क्योंकि किसी को इतना होश नहीं था, कि कोई कहीं खबर कर पाए।तब रक्षा ने पिताजी को बताया कि भाभी की हालत बहुत खराब है। और शायद भाभी को बचा पाना डॉक्टरों के बस में नहीं है।आज जब मैं अस्पताल गई तो मैंने भाभी की जो हालत देखी है,जो मुझसे देखी नहीं गई। इसीलिए मैं पंडित जी से भाभी के लिए कुछ पूजा-पाठ करवाना चाहती हूं। जिससे भगवान उनके प्राणों की रक्षा करें और सब कुछ ठीक हो जाए। भैया का रो रो कर बुरा हाल है। मां भी परेशान है, यह सुनकर पिताजी के तो जैसे होश ही उड़ गए । क्योंकि पिताजी को इस सब के बारे में कुछ नहीं पता था। पिताजी को ना बताने का कारण एक यह भी था, कि पिताजी घर पर अकेले थे। और पता नहीं वह यह सब बर्दाश्त कर पाते या नहीं। इसलिए सोचा कि हां जो लोग अस्पताल में हैं वही सब संभाले।  यह सब सुनकर पिताजी के मुख पर दुख के बादल मंडराने लगे। उनके चेहरे पर दुख के भाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे । उनकी आंखों से अनायास ही अश्रु धारा अविरल अविराम बह निकली।  पिताजी ने अपनी बहू का कष्ट सुना, तो उनको भी रोना आ गया।क्योंकि उन्होंने तू बहुत उम्मीदें लगा रखी थी। बहू जब बच्चे को लेकर घर आएगी, तो उसका स्वागत बड़ी धूमधम से करेंगे। क्योंकि अब वह पिताजी से दादा जी बन जाने वाले थे। लेकिन रक्षा के द्वारा बताई गई परिस्थितियों को सुनकर तो पिताजी भी बहुत परेशान हो गए थे।  इतने में दरवाजे की घंटी बजी। रक्षा बोली लगता है, पंडित जी आ गए हैं। रक्षा ने दौड़ कर दरवाजा खोला, तो सामने पंडित जी खड़े थे।  रक्षा ने पंडित जी को अंदर आने को कहा- और सोफे पर बैठाया। पंडित जी को सोफे पर बैठा कर रक्षा उनके लिए पानी और बिस्किट लेने चली गई। रक्षा के हाथ में पानी और बिस्किट था, उसने लाकर पंडित जी को पानी दिया। पंडित जी के मन पर बहुत गहरे विषाद के भाव उभरे हुए थे। क्योंकि पंडित जी भी जानना चाहते थे, कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो रक्षा ने आनन-फानन में मुझे यहां बुलाया है। सोफे पर बैठते ही पंडित जी ने रक्षा से पूछा-  बेटा अब तो बताओ, क्या हुआ है। जानिए पंडित जी को प्रणाम करते हुए कहा- आप पानी पीजिए,मैं आपको सब बताती हूं। पंडित जी को रक्षा के चेहरे पर भी दुख के भाव स्पष्ट दिख रहे थे। उनके पिताजी भी बहुत दुखी थे, यह देखकर पंडित जी को किसी दुर्घटना का आभास तो हो गया। परंतु बात क्या है यह नहीं पता था।

रक्षा में पंडित जी को बताया, कि श्रवन भैया की पत्नी श्रेया भाभी मां बनने वाली थी। हम सब लोग उनकी इस खुशी में बहुत खुश थे। भाभी भी बहुत इंतजार के बाद मां बन रही थी। घर में सभी लोग बहुत खुश थे, सभी की खुशी का ठिकाना नहीं था।  कल होली थी तो सभी ने घर में धूमधाम से होली मनाई। होली खेलकर सभी लोग नहा धोकर तैयार हुए, इतने में श्रेया भाभी के माता-पिता भी आ गए थे। उनका स्वागत सत्कार किया गया। सभी से मिलकर भाभी भी बहुत खुश थी। उनके माता-पिता के जाने के बाद भाभी आराम करने कमरे में चली गई और सभी लोग हॉल में ही बैठे थे। कुछ देश आराम करने के बाद अचानक भाभी की आंख खुली।और उनकी चीख पूरे घर में गूंज गई। उनकी चीख सुनते ही सभी लोग उनके कमरे की ओर दौड़े। भैया ने भाभी को दर्द में तड़पते हुए देखा, सभी के चेहरे सन पड़ गए थे। श्रेया को तड़पते देख सभी के चेहरों पर उदासी छा गयी थी। भैया ने तुरंत ड्राइवर को फोन किया, और उसे तुरंत गाड़ी निकालने को कहा-भाभी को सभी लोगों ने मिलकर गाड़ी में लिटाया और अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टर ने भाभी का चेकअप किया। चेकअप करने के बाद डॉक्टर ने तुरंत ऑपरेशन करने की सलाह दी। डॉक्टर की सलाह मानते हुए, श्रवन भैया ने तुरंत भाभी के ऑपरेशन के लिए हां कह दी।  श्रवन के हां करने के बाद डॉक्टर ने तुरंत ऑपरेशन की तैयारी की। और श्रेया को ऑपरेशन थिएटर ले जाने लगे। उधर श्रेया दर्द से बेहाल थी, वह श्रवन का हाथ छोड़ना ही नहीं चाहती थी। उसे इस समय एक मात्र श्रवन ही अपना भगवान दिखाई दे रहा था। वह श्रवन का हाथ पकड़े हुए, सिर्फ एक ही बात बोल रही थी। क्या मैं बच पाऊंगी, क्या मैं अपने बच्चे को देख पाऊंगी, यह कहते-कहते श्रेया रोए जा रही थी। उसे अपने तन बदन का होश नहीं था, लेकिन फिर भी उसे अपने बच्चे की बहुत चिंता थी। वह बार-बार एक ही बात कह रही थी। मुझे और मेरे बच्चे को बचा लेना। श्रवन भी श्रेया का हाथ पकड़े हुए  रोते रोते उसे सांत्वना दे रहा था,कि परेशान मत हो सब कुछ ठीक हो जाएगा। भगवान पर भरोसा रखो, सब कुछ अच्छा हो जाएगा। तुम मेरे साथ अच्छी तरह अपने बच्चे को गोद में लेकर  घर चलोगी। इतने में..........

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7 Comments

Priyanka Rani

12-Sep-2022 04:33 PM

Nice post

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Kaushalya Rani

12-Sep-2022 03:38 PM

Very nice

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Barsha🖤👑

12-Sep-2022 03:12 PM

Very nice

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